हलासन के फायदे,विधि व इसकी सावधानियां

हलासन दो शब्दों से मिलकर बना है हल और आसन हल अथवा जमीन खोदने वाला यंत्र व आसन बैठने की स्थिति हलासन को अंग्रेजी भाषा में फ्लो पोज़ कहते हैं हलासन करते समय आपका शरीर हाल के समान दिखाई देता है

हलासन करने का समय

हला सन आपको अपने मन की इच्छा के अनुसार करना चाहिए आप इस आसन को खाली पेट कभी भी कर सकते हैं आपको यह आसन स्वच्छ वातावरण मैं करना चाहिए वह दरी पर बैठकर करना चाहिए इस आसन के दौरान किसी के साथ बातचीत ना करें|

हलासन करने की विधि

  • भूमि पर बिछे हुए आसन पर चित्त होकर लेट जाएं वह दोनों हाथ शरीर को लगाए रखें
  • सांस बाहर की ओर खींचते हुए दोनों पैरों को एक साथ धीरे-धीरे ऊंचे करते जाएं
  • आकाश की ओर पूरे उठाकर फिर पैरों को सिर की तरफ झुकाए
  • पैर बिल्कुल सीधे तने हुए रखकर पंजे जमीन पर लगाएं
  • अपने हाथों की हथेलियों को जमीन से स्पर्श रखें
  • इस आसन की स्थिति में कम से कम 10 से 15 या 20 सेकंड तक जरूर रुके
  • आसन को समाप्त करने में जल्दबाजी ना करें कृपया दोनों पैरों को एक समान पीछे की ओर करें

हलासन के फायदे

  1. हलासन के अभ्यास से कब्ज थायराइड और रक्तचाप की बीमारियां दूर होती हैं
  2. इस आसन से लीवर अच्छा होता है वह छाती का विकास होता है
  3. श्वसन क्रिया तेज होकर ऑक्सीजन से शुद्ध रक्त बनाता है
  4. इस आसन से गले में दर्द पेट की बीमारियां आदि दूर होती हैं
  5. इस आसन से पेट की चर्बी कम होती है वह सिर दर्द भी दूर होता है
  6. हलासन से रीड की हड्डी का लचीलापन प्रधान होता है
  7. इस आसन से मांसपेशियां तथा पाचन तंत्र के अंग मजबूत बनते हैं वह कमर पीठ एवं गर्दन के रोग नष्ट होते हैं

हलासन-की सावधानियां

  • अगर आपको गर्दन में चोट की समस्या है तो इस आसन का अभ्यास ना करें
  • अगर आप हाई बीपी के मरीज हैं तो इस आसन को ना करें
  • हद से ज्यादा मोटे व्यक्ति इस आसन को वहीं समाप्त कर दें
  • चक्कर आना या जिन व्यक्तियों की गर्दन में दर्द हो उनको यह आसन नहीं करना चाहिए
  • इस आसन में गर्दन पर ज्यादा दबाव देने के कारण आपकी गर्दन टूट भी सकती है