मत्स्यासन मत्स्य का अर्थ है मछली| इस आसन में शरीर की आर्कती मछली जैसी बनती है इस कारण से इसे मत्स्यासन कहा जाता है इस आसन की स्थिति में आप लंबे समय तक पानी में तैर सकते हैं
मत्स्यासन क्या है
इस आसन को मत्स्यासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस आसन के दौरान आपके शरीर की स्थिति मछली जैसी दिखाई देती है इस आसन को करने से पहले आपका पेट साफ होना चाहिए अगर आप इस आसन को शाम को करते हैं तो भोजन को 4 या 5 घंटे बाद करें|
मत्स्या सन करने की विधि
- भूमि पर बिछे हुए आसन पर सीधे लेट जाएं
- इसके बाद पैरों को पद्मासन की स्थिति में ही रखकर हाथ के आधार से सावधानीपूर्वक पीछे की ओर चित्त होकर लेट जाएं
- आपकी कमर बीच में से थोड़ी उठी हुई हो और सिर जमीन से लगा हुआ हो
- बाएं हाथ से दाहिने पैर का अंगूठा और दाहिने हाथ से बाएं पैर का अंगूठा पकड़े
- कहानियों को जमीन से स्पर्श रखें व दांत और मुंह को बंद रखें
- इसके बाद हाथ खोल कर कमर भूमि से लगाकर सिर ऊपर उठा कर बैठ जाए
- इस आसन को 1 मिनट के बाद रुक रुक कर करें
मत्स्यासन के फायदे
- मत्स्यासन से पूरा शरीर मजबूत बनता है और गले, छाती व पेट की तमाम रोग दूर होती हैं
- इस आसन से आंखों की रोशनी बढ़ती है और गला साफ रहता है
- इस आसन से श्वसन क्रिया ठीक चलती है और कंधो की नसें अच्छी तरह से काम करती हैं
- इस आसन से फेफड़ों से छाती तक शुद्ध ऑक्सीजन पहुंचती है
- रक्त संचार की गति बढ़ती है जिस कारण से चमड़ी रोगों से मुक्ति मिलती है
- थोड़ा पानी पीकर यह आसन करने से शोच शुद्धि में सहायता मिलती है
मत्स्यासन की सावधानियां
- यदि आपकी छाती या गले में दर्द हो तो इस आसन को ना करें
- अत्याधिक मोटे व्यक्ति इस आसन से दूर रहें
- इस आसन को प्राय सुबह खाली पेट करें
- जिन लोगों को हाई बीपी उच्च या निम्न रक्तदाब है तो वह इस आसन को ना करें
- इस आसन को अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार करें
- यदि आपके घुटनों में चोट लगी हो या आपके पैरों में किसी प्रकार का दर्द रहता हो तो आप इस आसन से परहेज करें|
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