करेले के फायदे-करेले गर्मी और बरसात के महीनों में होता है। करेला लगभग पूरे भारत में उगाया जाता है। करेले दो प्रकार के होते हैं- बड़ा करेला और छोटा करेला। सब्जी के रूप में लम्बे करेले का प्रयोग किया जाता हैं। करेले के फूल पिले रंग व फल हरे रंग का होता हैं। जगली करेले की बैल अपने आप उग जाती हैं, और झड़ियो में फैल जाती हैं। इसमें गोल – गोल फल लगे हैं, जिसे बाड़ करेला कहते हैं।
BENEFITS OF BITTER GOURD IN HINDI-करेले के फायदे
मोटापा कम करे
आधा कप करेले का रस, आधा कप पानी में मिलाकर उसमे, एक निम्बू निचोड़कर प्रात: खाली पेट पीते, रहने से मोटापा कम हो जाता हैं। और आप का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता हैं।
ब्लड को साफ करने में सहायक
करेले के जूस शरीर में एक प्राकृतिक रक्त शोधक के रूप में कार्य करता हैं। यह हमारे शरीर से ज़हरीले तत्वों को बहार निकालता हैं। और फ्री रेडिकल्स से हुए नुकसान से बचाता हैं। इसलिए ब्लड को साफ करने और मुंहासो जैसी, समस्याओं को दूर करने के लिए रोज एक गिलास करेले के जूस जरूर पियें।
फोड़े – फुंसिया
करेले के रस को फोड़े – फुंसिया पर कुछ दिन लगाने से फोड़े – फुंसिया एकदम से सुखकर गायब हो जाती हैं।और न ही चेहरे पर दाग़ – दब्बे रहते हैं।
ठंडा बुखार
ठंड लगने से उतपन हुए बुखार को ठंडा बुखार कहते हैं। इसको दूर करने के लिए करेले के 10 से 15 मिलीलीटर, रस में जीरे के चूर्ण मिलाकर दिन में 3 बार पियें। इससे ठंड लगने से होने वाला भुखार जल्दी ठीक हो जाता हैं।
पैरों में जलन होना
करेले के पत्तों के रस से पैरों में मालिस करने से बहुत लाभ मिलता हैं। करेले के रस या इसको पीसकर बनाया हुआ। लेप जलन वाले स्थान पर लगाने से जलन शांत हो जाती हैं।
पेशाब में खून आना
करेले को पानी में घोटकर 250 से 500 ग्राम की मात्रा में, सेवन करने से पेशाब में खून आना बंद हो जाता हैं। इसमें रोगी को अधिक गर्म खाना नहीं खाना चाहिए।
गले की सूजन
सूखे करेले को सिरके में पीसकर गर्म करके गले पर लेप लगाने से गले की सूजन दूर हो जाती है।
हैजा रोग
करेले की जड़ का काढ़ा लगभग एक ग्राम के चौथाई भाग की मात्रा में बनाकर।तिल के तेल के साथ विसूचिका के रोगी को पिलाने से रोग शांत होता है। करेले का रस निकालकर, तेल में मिलाकर पीने से बहुत अधिक फायदा होता है।
रतोंधी
रात में दिखाई न देना रतोंधी कहलाता है। करेला के पत्तों के रस और कालीमिर्च को पीसकर, आँखों में लगाने से रतोंधी रोग दूर हो जाता है।
बहरेपन से छुटकारा
3 करेला को पीसकर 200 ग्राम सरसों के तेल में पकाएं। जब पककर करेला जल जाए। तो इसे कपड़े में निचोड़कर तेल निकल ले। यह तेल कान में बूँद – बूँद करके डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
कैंसर से बचाव
करेला में निहित एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर की फ्री – रेडिकल क्षति से सुरक्षा करता है। करेला का सेवन करने से ग्रीवा, प्रोस्टेट और स्तन कैंसर से बचा जा सकता है। एक शोध से पता चला की यह टयूमर को रोकता है। कैंसर से बचाव करने के लिए करेला को अपने दैनिक – आहार में शामिल करें।
करेले में पाए जाने वाले तत्वो की मात्रा
S.No. | पोषक तत्व | मात्रा |
1. | प्रोटीन | 1.6 प्रतिशत |
2. | वसा | 0.2 प्रतिशत |
3. | कार्बोहाइड्रेट | 4.2 प्रतिशत |
4. | पानी | 92.4 प्रतिशत |
5. | विटामिन ‘ए’ | 210 i.u./100 ग्राम |
6. | विटामिन ‘सी’ | 88 मिग्राम /100 ग्राम |
7. | विटामिन ‘बी’ | 24 i.u./100 ग्राम |
8. | फॉस्फोरस | 0.7 प्रतिशत |
9. | लोह | 2.2 मिग्राम /100 |
10. | केल्शियम | 0.02 प्रतिशत |
11. | अन्य खनिज प्रदार्थ | 0.8 प्रतिशत |
करेले खाने के नुकसान व सावधानी
- करेला खरीदते समय, ताजा और गहरा हरा करेला ही चुना चाहिए। जिन करेलों पर पीले या नारंगी रंग के धब्बे हो। या फिर नरम स्थल हो वो करेला नहीं खरीदना चाहिए।
- हमेशा करेले की सब्जी या इसका जूस बनाने से पहले, करेला को अच्छी तरह से ठंडे पानी से धो लेना चाहिए।
- करेले की कड़वाहट को कम करने के लिए इसको दस मिनट तक नमक के पानी में रखे। और बाद में ही खाना पकाने के लिए इसका इस्तेमाल करें।
- करेला के जूस का स्वाद सुधारने के लिए, आप इसमें, शहद, गाजर या सेब का जूस मिलाकर सेवन करें।
- गर्भवती महिलाओं को अधिक मात्रा में करेला नहीं खाना चाहिए। इससे समय से पहले ही शिशु – जन्म का कारक बन सकता है।
- एक दिन में दो या तीन ही करेला का उपयोग करना चाहिए।
- करेला का अधिक प्रयोग करने से पेट में हल्का दर्द भी हो सकता है।