अर्धचक्रासन अर्ध शब्द का अर्थ है आधा तथा चक्र का अर्थ है पहिया इस आसन के दौरान आपका शरीर आधे पहिए के समान हो जाता है इसलिए इस आसन को अर्ध चक्रासन कहा जाता है|
अर्धचक्रासन का अर्थ
अर्धचक्रासन हठ योग का महत्वपूर्ण आधार है इस आसन के दौरान शरीर पहिए की आधी आकृति के समान दिखाई देता है यह हठ योग का अंग है इसलिए इसे लीवर के रोगियों के लिए बनाया गया है जिससे उनका स्वास्थ्य अच्छी तरह से काम कर सके|
अर्धचक्रासन की विधि
- मैट बिछाकर मैट पर सीधे खड़े हो जाएं|
- पैरों के बीच 2 इंच की दूरी बनाकर रखें|
- सांस को खींचते हुए अपने दोनों हाथों को हिप्स से पकड़े|
- कोहनियां एक दूसरे के समानांतर रखने का प्रयास करें|
- सांस लेते हुए शरीर को पीछे की ओर मुड़े|
- इस स्थिति में कम से कम 15 सेकंड तक जरूर रुके हैं|
- श्वास को अंदर खींचते समय अपनी सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं|
- इस आसन को रोज 5 से 6 बार जरूर करें|
अर्धचक्रासन के लाभ
- यह आसन कंधों छाती रीड की हड्डी को शक्तिशाली बनाने में सहायक है|
- इससे तनाव दूर होता है|
- इस आसन से टांगों का दर्द दूर होता है|
- यह गर्दन तथा कंधे के दर्द को तनावमुक्त बनाता है|
- यह आसन लंबाई बढ़ाने में बहुत सहायता करता है|
- यह मेरुदंड की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक है|
अर्धचक्रासन करने का समय
यह आसन सुबह जल्दी उठकर खाली पेट करना चाहिए जिससे आपके शरीर में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा बनी रहती है इस आसन के दौरान विशेष सावधानियों का ध्यान जरूर रखें|
अर्धचक्रासन की सावधानियां
- यदि आपको चक्कर आता है तो इस आसन का अभ्यास ना करें|
- उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति इस आसन को ना करें|
- अल्सर होने पर इस आसन का अभ्यास ना करें|
- रीड की हड्डी के मरीज इस आसन को ना करें|
- गंभीर बीमारी वाले मरीज इस आसन को ना करें|
- गर्दन में दर्द होने पर अर्धचक्रासन को वहीं समाप्त कर दें|